tag:blogger.com,1999:blog-87767968910556218522024-03-12T21:39:55.236-07:00रमेशराज के चर्चित " तेवर-शतक " [ लम्बी तेवरियाँ ]रमेशराज तेवरीकारhttp://www.blogger.com/profile/10299195093677463730noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-8776796891055621852.post-39030335114848093642022-09-27T23:41:00.003-07:002022-09-27T23:41:33.148-07:00मौत न हो<p> 💐एक अभिनव प्रयोग💐</p><p>*लम्बी तेवरी (तेवर-शतक)*</p><p>**********</p><p>+मन की खुशियाँ जागकर मीड़ रही हैं आँख</p><p>चीर रही जो अंधकार को उसी किरन की मौत न हो। 1</p><p>..............</p><p>चाहे जो भी नाम दे इस रिश्ते को यार</p><p>जिस कारण भी प्रीति जगे उस सम्बोधन की मौत न हो। 2</p><p>...................</p><p>बड़ा हो गया आज ये दौने-पत्तल चाट</p><p>जूठन के बलबूते आये इस यौवन की मौत न हो। 3</p><p>-----------------</p><p>यह डूबी तो टूटनी एक सत्य की साँस</p><p>माँग रहे सब लोग दुआएँ इस धड़कन की मौत न हो। 4</p><p>--------------</p><p>पूजा घर में हो रही सिक्कों की बौछार</p><p>प्रभु से मिन्नत करे पुजारी ‘खनन-खनन’ की मौत न हो। 5</p><p>------------------</p><p>तेरे भीतर आग है, लड़ने के संकेत</p><p>बन्धु किसी पापी के सम्मुख तीखेपन की मौत न हो। 6</p><p>--------------</p><p>जन-जन की पीड़ा हरे जो दे धवल प्रकाश</p><p>जो लाता सबको खुशहाली उस चिन्तन की मौत हो। 7</p><p>---------------</p><p>मन के भीतर दौड़ती बनकर एक तरंग</p><p>दुःख के बाद शाद करती जो उस थिरकन की मौत न हो। 8</p><p>--------------</p><p>घर के भीतर बढ़ रही अब दहेज की रार</p><p>हुए अभी कर जिसके पीले उस दुल्हन की मौत न हो। 9</p><p>--------------</p><p>कायर ने कुछ सोचकर ली है भूल सुधार</p><p>डर पर पड़ते भारी अब इस संशोधन की मौत न हो। 10</p><p>-----------------</p><p>चूम-चूम जिस पूत को बड़ा कर रही मात</p><p>बेटा जब सामर्थ्यवान हो, इस चुम्बन की मौत न हो। 11</p><p>..............</p><p>‘परिवर्तन' का अस्त्र ले जो उतरा मैदान</p><p>करो दुआएँ आग सरीखे जैसे रघुनन्दन की मौत न हो। 12</p><p>----------------</p><p>देश लूटने एकजुट तस्कर-चोर-डकैत</p><p>सोच रहा राजा अब ऐसे गठबन्धन की मौत न हो। 13</p><p>-----------------</p><p>घड़ा पाप का भर रहा, फूटेगा हर हाल</p><p>ऐसा कैसे हो सकता है खल-शासन की मौत न हो। 14</p><p>---------------</p><p>सब कुछ अपने आप फिर हो जायेगा ठीक</p><p>तू कर केवल इतनी चिन्ता समरसपन की मौत हो।</p><p>---------------</p><p>एक दूसरे से गले रोज मिलें सद्भाव</p><p>जो दिल से दिल जोड़ रहा ऐसे प्रचलन की मौत न हो। 15</p><p>---------------</p><p>तेरे आगे मैं झुकूँ, तू दे कुछ आशीष</p><p>तुझ में श्रद्धा रखता हूँ मैं, बन्धु नमन की मौत न हो। 16</p><p>--------------</p><p>बेटों को समझा रहे हाथ जोड़ माँ-बाप</p><p>बँटवारे के बीच खड़ा जो उस आँगन की मौत न हो। 17</p><p>------------------</p><p>वादे से मुकरे नहीं, लाये सुखद वसंत</p><p>जो नेता संसद पहुँचा है, कहो ‘वचन’ की मौत न हो। 18</p><p>-------------------</p><p>चलो बन्धु हम ही करें घावों का उपचार</p><p>गारण्टी सत्ता कब देती चैन-अमन की मौत न हो। 19</p><p>---------------</p><p>ये बाघों का देश है, जन-जन मृग का रूप</p><p>अब तो चौकस रहना सीखो, किसी हिरन की मौत न हो। 20</p><p>---------------</p><p>शंका का तम घेरता सुमति-समझ को आज</p><p>पति-पत्नी के बीच प्रेम में आलिंगन की मौत न हो। 21</p><p>---------------</p><p>‘सूरदास’ को मिल गया डिस्को क्लब-अनुबंध</p><p>अब डर है कुछ भक्ति-पदों की और भजन की मौत न हो। 22</p><p>-------------------</p><p>उभर रहे हैं आजकल सूखा के संकेत</p><p>कली-कली के भीतर आयी नव चटकन की मौत न हो। 23</p><p>---------------</p><p>अब है खल के सामने दोनों मुट्ठी तान</p><p>बार-बार ललकार रहा जो उस ‘झम्मन’ की मौत न हो। 24</p><p>---------------</p><p>लिये कुल्हाड़ी साथ वे सत्ता जिनके हाथ</p><p>राजनीति के दावपेंच में चन्दन-वन की मौत न हो। 25</p><p>--------------</p><p>सुलझेंगी सब गुत्थियाँ इसके बूते यार</p><p>इसको जीवित रहना प्यारे इस उलझन की मौत न हो। 26</p><p>------------------</p><p>फूटेगी कुछ रौशनी अंधकार के बीच</p><p>शर्त यही नव तेवर वाले नव चिन्तन की मौत न हो। 27</p><p>------------------</p><p>आलिंगन के जोश को कह मत तू आक्रोश</p><p>ग़ज़लें लिख पर ‘कथ्य’, ‘काफिया’ और ‘वज़न’ की मौत न हो।28</p><p>-------------------</p><p>नया जाँच आयोग भी जाँच करेगा खाक !</p><p>ये भी बस देगा गारण्टी ‘कालेधन की मौत न हो’। 29</p><p>-------------</p><p>जो भेजा है कोर्ट ने खल को पहली बार</p><p>जन-दवाब में रपट लिखी थी, इस सम्मन की मौत न हो। 30</p><p>--------------------</p><p>जनता के हित भर रही जिनके मन में आग</p><p>जब संसद के सम्मुख बैठें तो अनशन की मौत न हो। 31</p><p>---------------</p><p>उठी लीबिया, सीरिया अब भारत के बीच</p><p>पकड़े यूँ ही जोर आग ये, आन्दोलन की मौत न हो। 32</p><p>------------------</p><p>शब्द-शब्द से और कर व्यंग्यों की बौछार</p><p>यही कामना तेवरियों में अभिव्यंजन की मौत न हो। 33</p><p>----------------</p><p>भावों की रस्सी बना उससे खल को बाँध</p><p>तेरे भीतर के वैचारिक अब वलयन की मौत न हो। 34</p><p>----------------</p><p>पंछी पिंजरा तोड़कर फिर भर रहा उड़ान</p><p>पुनः सलाखों बीच न आये और गगन की मौत न हो। 35</p><p>-------------------</p><p>गोकुल में भी बढ़ रहे चोर-मिलावटखोर</p><p>वृन्दावन के मिसरी-माखन, मधुगुंजन की मौत न हो। 36</p><p>------------------</p><p>हाथ उठा सबने किया अत्याचार-विरोध</p><p>लड़ने के संकल्प न टूटें, अनुमोदन की मौत न हो। 37</p><p>-------------------</p><p>जनता में आक्रोश लखि सत्ता कुछ भयभीत</p><p>पहली बार दिखायी देते परिवर्तन की मौत न हो। 38</p><p>-------------------</p><p>परिवारीजन एक हो पूजें यह त्योहार</p><p>घर में दो-दो गोधन रखकर गोबरधन की मौत न हो। 39</p><p>-------------------</p><p>संसद तक भेजो उसे जो जाने जन-पीर</p><p>नेता के लालच के चलते और वतन की मौत न हो। 40</p><p>--------------------</p><p>केवल इतना जान ले-‘प्यार नहीं व्यापार’</p><p>जुड़ा हुआ सम्बन्ध न टूटे, अपनेपन की मौत न हो। 41</p><p>----------------</p><p>लिखा हुआ है ‘हिम’ जहाँ अब लिख दे तू ‘आग’</p><p>इसको लेकर चौकस रहना संशोधन की मौत न हो। 42</p><p>-------------------</p><p>जिस में जन कल्याण का सुमन सरीखा भाव</p><p>चाहे जो हो जाए लेकिन उसी कथन की मौत न हो। 43</p><p>-------------------</p><p>पूँजीपति के हित यहाँ साध रही सरकार</p><p>करें आत्महत्या किसान नहिं औ’ निरधन की मौत न हो। 44</p><p>--------------------</p><p>राजा चाहे तो प्रजा पा सकती है न्याय</p><p>बादल बरसें नहीं असम्भव बढ़ी तपन की मौत न हो। 45</p><p>-----------</p><p>सोच-समझ कर क्रोध में कर लेना तलवार</p><p>सुखमोचन के बदले प्यारे दुःखमोचन की मौत न हो। 46</p><p>------------</p><p>बातें लिख शृंगार की लेकिन रह शालीन</p><p>केवल धन के ही चक्कर में सद्लेखन की मौत न हो। 47</p><p>--------------</p><p>खूब हँसा हर मंच से नव चुटकुले सुनाय</p><p>पर दे गारण्टी आफत के आगे जन की मौत न हो। 48</p><p>------------</p><p>तूने मेरी शर्ट पर जो टाँका भर प्यार</p><p>तेरे ही हाथों कल सजनी उसी बटन की मौत न हो। 49</p><p>-----------------</p><p>अब भारी खिलवाड़ है शब्द-शब्द के साथ</p><p>हिन्दी वालों के हाथों ही हिन्दीपान की मौत न हो। 50</p><p>------------------</p><p>कुछ तो हो सुख की नदी तरल तरंगित शाद</p><p>जो लेकर बूदें आया हो ऐसे ‘घन’ की मौत न हो। 51</p><p>-------------</p><p>असुर न केवल साथ हैं इसके सँग अब देख</p><p>अति बलशाली रावण सम्मुख राम-लखन की मौत न हो। 52</p><p>----------------</p><p>महँगाई डायन डसे, कहीं मारती भूख</p><p>कुछ तो सोचें सत्ताधरी यूँ जन-जन की मौत न हो। 53</p><p>-----------------</p><p>हरियाली के दृश्य हों पल्लव और प्रसून</p><p>जिसके आते कोयल कूके उस सावन की मौत न हो। 54</p><p>-------------------</p><p>देखो दिव्य उदारता, इसका छीना प्यार</p><p>पत्नी फिर भी सोच रही है ‘प्रभु सौतन की मौत न हो।’ 55</p><p>----------------</p><p>याद रखो तुम ‘लक्ष्मी’, ‘तात्या’ का बलिदान</p><p>नयी सभ्यता के अब आगे ‘सत्तावन’ की मौत न हो। 56</p><p>-----------------</p><p>मंजर बदले चीख में, फैले हाहाकार</p><p>किसी रात के डेढ़ बजे होते अनशन की मौत न हो। 57</p><p>-----------------</p><p>नवपूरव की सभ्यता, पश्चिम के रँग देख</p><p>टाई पेंट सूट के आगे यूँ अचकन का मौत न हो। 58</p><p>-------------------</p><p>निर्धन का धन सड़ गया गोदामों के बीच</p><p>यूँ सरकारी गोदामों में फिर राशन की मौत न हो। 59</p><p>-----------------</p><p>प्रसव-समय पर नर्स ने किया नहीं उपचार</p><p>कोख-बीच यूँ ही भइया रे फिर किलकन की मौत न हो। 60</p><p>----------------</p><p>खल के सम्मुख हो खड़ा अरे इसे धिक्कार</p><p>हाथ जोड़कर पाँव मोड़कर यूँ घुटअन की मौत न हो। 61</p><p>-------------------</p><p>पा लेंगे निश्चिन्त हो, भले लक्ष्य हैं दूर</p><p>सद्भावों के नेह-प्यार के बस इंजन की मौत न हो। 62</p><p>------------------</p><p>सच को सच ही बोलना बनकर न्यायाधीश</p><p>हीरा को हीरा ही कहना, मूल्यांकन की मौत न हो। 63</p><p>--------------</p><p>कल को प्यारे देखना मिटें सकल संताप</p><p>जहाँ तक्षकों की आहुतियाँ वहाँ हवन की मौत न हो। 64</p><p>--------------</p><p>इन्हें न आये रौंदने कोई बर्बर जाति</p><p>जहाँ कर रहे फूल सभाएँ, सम्मेलन की मौत न हो। 65</p><p>-----------------</p><p>हाँ में हाँ मिलना रुके, झुके न सर इस बार</p><p>बन्धु किसी पापी के आगे ‘न’ ‘न’ ‘न’ की मौत न हो। 66</p><p>---------------</p><p>छन्द और उपमान को सच का बना प्रतीक</p><p>मूल्यहीन रति के चक्कर में काव्यायन की मौत न हो। 67</p><p>-----------------------</p><p>बना गये हैं पुल कई मिल घोटालेबाज</p><p>उद्घाटन के समय यही डर ‘उद्घाटन की मौत न हो’। 68</p><p>----------------------</p><p>अब केवल ‘ओनर किलिंग’ दिखती चारों ओर</p><p>प्रेमी और प्रेमिका के पावन बन्धन की मौत न हो। 69</p><p>-------------------</p><p>चीरहरण जिसने किया लूटी द्रौपदि लाज</p><p>ऐसा क्यों तू सोच रहा है दुर्योधन की मौत न हो। 70</p><p>---------------------</p><p>सिस्टम लखि बेचैन है तू भी मेरी भाँति</p><p>तेरे भीतर घुमड़ रहा जो उस मंथन की मौत न हो। 71</p><p>-----------------</p><p>रावण मिलने हैं कई जिनका होना अंत</p><p>रोक न टोक न रघुनंदन को राम-गमन की मौत न हो। 72</p><p>----------------</p><p>दुश्मन से लड़ हो फतह यही बहिन की सोच</p><p>लगे न कहीं पीठ पर गोली यूँ वीरन की मौत न हो। 73</p><p>------------------</p><p>अश्व सरीखा हिनाहिना मत देना तू बन्धु </p><p>खल के सम्मुख सिंह सरीखे सुन गर्जन की मौत न हो। 74</p><p>-------------------</p><p>भय से बाहर तू निकल कान्हा बनकर देख</p><p>यह कैसे मुमकिन है प्यारे फैले फन की मौत न हो। 75</p><p>------------------------</p><p>मंत्रीजी का फोन सुन श्रीमानों में द्वन्द्व</p><p>चयनकमेटी के द्वारा अब सही चयन की मौत न हो। 76</p><p>--------------------</p><p>युद्ध और जारी रहे इस सिस्टम के साथ</p><p>असंतोष-आक्रोश भरे इस शब्द-वमन की मौत न हो। 77</p><p>------------------------</p><p>तू जग का कल्याण कर, तू है शिव का रूप</p><p>तूने खोला उसी ‘तीसरे’ आज ‘नयन’ की मौत न हो। 78</p><p>-----------------</p><p>जो है सच की राह पर उसका देंगे साथ</p><p>चूक न हो जाये अब साथी दुःख-भंजन की मौत न हो। 79</p><p>--------------------</p><p>जिससे यौगिक टूटकर बन जाना है तत्त्व</p><p>लेकर जो आवेश चला है उस आयन की मौत न हो। 80</p><p>-------------------</p><p>पृष्ठ-पृष्ठ घोषित हुआ जिस में धर्म अफीम</p><p>उस किताब को पूरी पढ़ना, सत् अध्ययन की मौत न हो। 81</p><p>-------------</p><p>जिसमें दबकर मर गये कई जगह मजदूर</p><p>ऐसे बनते फिर बहुमंजिल किसी भवन की मौत न हो। 82</p><p>---------------------</p><p>दास-प्रथा की तोड़ने जो आया जज़ीर</p><p>फिर भारी षड्यंत्र हो रहे, फिर लिंकन की मौत न हो। 83</p><p>-----------------------</p><p>फिक्सिंग का ये दौर है, बस पैसे का खेल</p><p>सट्टेबाजी के चक्कर में ‘मैराथन’ की मौत न हो। 84</p><p>-------------------</p><p>मति के मारो रहबरो, अरे दलालो और</p><p>महँगाई डायन के मुँह में पिस जन-जन की मौत न हो। 85</p><p>------------------------</p><p>नेता के सुत ने किया अबला के सँग ‘रेप’</p><p>रपट लिखाने के चक्कर में अब ‘फूलन’ की मौत न हो। 86</p><p>--------------------</p><p>जैसे हो जि़न्दा रखो मर्यादा का ओज</p><p>आचरणों की कामवृत्तिमय नव फिसलन की मौत न हो। 87</p><p>--------------------</p><p>जो रिश्तों के बीच में रहे खाइयाँ खोद</p><p>और उन्हीं को भारी चिन्ता ‘अपनेपन की मौत न हो’। 88</p><p>----------------------</p><p>यही समय का खेल है सदा न रहती रात</p><p>कालचक्र के बीच असंभव कटु गर्जन की मौत न हो। 89</p><p>------------------</p><p>संशय से बाहर निकल दिखे नूर ही नूर</p><p>चाहे क्यों केवल यह प्यारे तंगज़हन की मौत न हो। 90</p><p>----------------</p><p>प्रतिभाओं के सामने नकल न जाए जीत</p><p>कुंठा पाले ज्ञान नहीं यारो ‘एवन’ की मौत न हो। 91</p><p>---------------------</p><p>तू मनमोहन है अगर मंत्री-पद के साथ</p><p>कूड़े से खाना बटोरते सुन बचपन की मौत न हो। 92</p><p>---------------------</p><p>भरी क्लास में कर रहा दादागीरी झूठ</p><p>इस कक्षा का 'सच' है टीचर, अध्यापन की मौत न हो।</p><p>------------------------</p><p>चोट आस्था पर पड़े, सहता धर्म कलंक</p><p>पावन-स्थल ईश्वर के घर सुन्दर ‘नन’ की मौत न हो। 93</p><p>----------------</p><p>झांसी की रानी लिए जब निकली तलवार</p><p>कुछ पिट्ठू तब सोच रहे थे ‘प्रभु लंदन की मौत न हो’। 94</p><p>------------------------</p><p>सिर्फ़ ‘खबर’ होते नहीं जनता के दुख-दर्द</p><p>पत्रकारिता कर ऐसी तू ‘सत्य’-‘मिशन’ की मौत न हो। 95</p><p>------------------------</p><p>‘झिंगुरी’, ‘दातादीन’ को जो अब रहा पछाड़</p><p>‘होरी’ के गुस्सैले बेटे ‘गोबरधन’ की मौत न हो। 96</p><p>-----------------------</p><p>सारे दल ही दिख रहे आज कोयला-चोर</p><p>मनमोहन की फाइल में जा यूँ ईंधन की मौत न हो। 97</p><p>----------------------</p><p>जिसके भीतर प्यार के कुछ पावन संकेत</p><p>बड़े दिनों के बाद दिखी ऐसी चितवन की मौत न हो। 98</p><p>-------------------</p><p>लिया उसे पत्नी बना जिसका पिता दबंग</p><p>सारी बस्ती आशंकित है अब हरिजन की मौत न हो। 99</p><p>------------------------</p><p>इस कारण ही तेवरी लिखने बैठे आज</p><p>किसी आँख से बहें न आँसू, किसी सपन की मौत न हो। 100</p><p>-------------------------------</p><p>यही चाहता देश में एक तेवरीकार</p><p>चलती रहे क्रिया ये हरदम अरिमर्दन की मौत न हो। 101</p><p>------------------------</p><p>|| रमेशराज की लम्बी तेवरी [ तेवर-शतक ] ||</p><p><br /></p><p> --15\109, ईसानगर , निकट-थाना सासनी गेट , अलीगढ़-२०२००१,</p>रमेशराज तेवरीकारhttp://www.blogger.com/profile/10299195093677463730noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8776796891055621852.post-51573560021406295802016-03-29T00:24:00.001-07:002016-03-29T00:24:35.119-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="MsoNormal">
<b><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; font-size: 16.0pt; line-height: 115%;">भोर कहाँ है</span></b><b><span style="font-family: "Mangal","serif"; font-size: 16.0pt; line-height: 115%;">?<o:p></o:p></span></b></div>
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<b><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; font-size: 16.0pt; line-height: 115%;">+रमेशराज<o:p></o:p></span></b></div>
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<br /></div>
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<br /></div>
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<b><span style="font-family: "Mangal","serif"; font-size: 16.0pt; line-height: 115%;">+<span lang="HI">|| हाइकु गीत ||<o:p></o:p></span></span></b></div>
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<b><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; font-size: 16.0pt; line-height: 115%;">1.कैसे मंजर</span></b><b><span style="font-family: "Mangal","serif"; font-size: 16.0pt; line-height: 115%;">?<span lang="HI"><o:p></o:p></span></span></b></div>
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<b><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; font-size: 16.0pt; line-height: 115%;">जुबाँ हमारी <o:p></o:p></span></b></div>
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<b><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; font-size: 16.0pt; line-height: 115%;">तरल नहीं अब <o:p></o:p></span></b></div>
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<b><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; font-size: 16.0pt; line-height: 115%;">कैसे मंजर</span></b><b><span style="font-family: "Mangal","serif"; font-size: 16.0pt; line-height: 115%;">? <span lang="HI"><o:p></o:p></span></span></b></div>
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<b><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; font-size: 16.0pt; line-height: 115%;">प्यारी बातें<o:p></o:p></span></b></div>
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<b><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; font-size: 16.0pt; line-height: 115%;">सरल नहीं अब <o:p></o:p></span></b></div>
<div class="MsoNormal">
<b><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; font-size: 16.0pt; line-height: 115%;">कैसे मंजर</span></b><b><span style="font-family: "Mangal","serif"; font-size: 16.0pt; line-height: 115%;">?<span lang="HI"><o:p></o:p></span></span></b></div>
<div class="MsoNormal">
<br /></div>
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<b><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; font-size: 16.0pt; line-height: 115%;">अहंकार के <o:p></o:p></span></b></div>
<div class="MsoNormal">
<b><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; font-size: 16.0pt; line-height: 115%;">बोल अधर पर<o:p></o:p></span></b></div>
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<b><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; font-size: 16.0pt; line-height: 115%;">नये वार के</span></b><b><span style="font-family: "Mangal","serif"; font-size: 16.0pt; line-height: 115%;">,<span lang="HI"><o:p></o:p></span></span></b></div>
<div class="MsoNormal">
<b><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; font-size: 16.0pt; line-height: 115%;">हमने भूले <o:p></o:p></span></b></div>
<div class="MsoNormal">
<b><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; font-size: 16.0pt; line-height: 115%;">पाठ सुलह के <o:p></o:p></span></b></div>
<div class="MsoNormal">
<b><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; font-size: 16.0pt; line-height: 115%;">सदाचार के ।<o:p></o:p></span></b></div>
<div class="MsoNormal">
<b><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; font-size: 16.0pt; line-height: 115%;">सच की बातें <o:p></o:p></span></b></div>
<div class="MsoNormal">
<b><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; font-size: 16.0pt; line-height: 115%;">सफल नहीं अब<o:p></o:p></span></b></div>
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<b><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; font-size: 16.0pt; line-height: 115%;">कैसे मंजर</span></b><b><span style="font-family: "Mangal","serif"; font-size: 16.0pt; line-height: 115%;">?<o:p></o:p></span></b></div>
<br />
<div class="MsoNormal">
<b><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; font-size: 16.0pt; line-height: 115%;">+रमेशराज<o:p></o:p></span></b></div>
</div>
रमेशराज तेवरीकारhttp://www.blogger.com/profile/10299195093677463730noreply@blogger.com0