भोर कहाँ है?
+रमेशराज
+|| हाइकु गीत ||
1.कैसे मंजर?
जुबाँ हमारी
तरल नहीं अब
कैसे मंजर?
प्यारी बातें
सरल नहीं अब
कैसे मंजर?
अहंकार के
बोल अधर पर
नये वार के,
हमने भूले
पाठ सुलह के
सदाचार के ।
सच की बातें
सफल नहीं अब
कैसे मंजर?
+रमेशराज